।। श्रीसीतारामाभ्यां नमः ।।
सीता मैया मोहिं राम से मिला दो ।
करुणा की खानि सहज उपकारी, करि करुणा करुणा बरसा दो ।।१।।
दीन मलीन गवाँर निहारी, दीन-दशा प्रभु सो बतला दो ।
गुनगनधाम दीनजन गाहक, गुनगन की माँ याद दिला दो ।।२।।
रीति-प्रीति जन दीन को आदर, विरद की रीति पुनीत बता दो ।
जनम-जनम को दीन-दुखारी, बिगड़ी जनम की मातु बना दो ।।३।।
असर-सरन राम रघुवर की, करि कृपा माँ सरन दिला दो ।
दीन संतोष याचक कर जोरे, माँ रघुकुल की रीति निभा दो ।।४।।
।। करुणामयी माता सीता की जय ।।
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