अवध सा दूजा नहीं कोई धाम ।
परम सुहावन जन मन भावन, रामपुरी बड़ा नाम ।।
कण-कण पावन अघौघ नसावन, प्रगटे यहाँ श्रीराम ।
शिवजी गावैं उमहिं सुनावैं, महिमा तीर्थ तमाम ।।
सुर मुनि आवैं महिमा गावैं, करि-करि दण्डप्रणाम ।
सरजू सोहैं छवि मन मोहै, कल-कल जल अविराम ।।
भगति जगावै राम मिलावै, सत्या पूरणकाम ।
अवध वास ते कबहूँ रीझैं, दीन संतोष के राम ।।
।। अवध सरजू श्रीराम की जय ।।
Author: श्रीराम कृपाकांक्षी दीन संतोष
स्वामी मेरे राम स्वामिनी सीता माता । " लिखने में नहि मेरा जोर । लिखता मैं हूँ लिखाए और ।। मैं तो बिषई बिषय में जोर । कृपा कीन्हीं अपनी ओर" ।। श्रीराम प्रभु कृपा: मानो या न मानो- www.sriramprabhukripa.blogspot.com
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