अवध सा दूजा नहीं कोई धाम ।
परम सुहावन जन मन भावन, रामपुरी बड़ा नाम ।।
कण-कण पावन अघौघ नसावन, प्रगटे यहाँ श्रीराम ।
शिवजी गावैं उमहिं सुनावैं, महिमा तीर्थ तमाम ।।
सुर मुनि आवैं महिमा गावैं, करि-करि दण्डप्रणाम ।
सरजू सोहैं छवि मन मोहै, कल-कल जल अविराम ।।
भगति जगावै राम मिलावै, सत्या पूरणकाम ।
अवध वास ते कबहूँ रीझैं, दीन संतोष के राम ।।
।। अवध सरजू श्रीराम की जय ।।