प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी को व्रत रखना चाहिए

जैसे एकादशी व्रत करना चाहिए वैसे ही प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी को व्रत करना चाहिए । प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी को भोजन वर्जित है । ग्रंथों के अनुसार प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी को भोजन नहीं करना चाहिए और व्रत रखना चाहिए ।

श्रीराम नवमी अर्थात चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी का विशेष महत्व है । इसलिए सभी को श्रीराम नवमी को उपवास-व्रत रखना चाहिए । यह वर्णन सनातन धर्म के कई ग्रंथों में मिलता है ।

इस प्रकार भगवान श्रीराम के भक्तों को केवल राम नवमी को ही नहीं बल्कि प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी को व्रत रखना चाहिए ।

 ।। जय श्रीराम ।।

प्रगटे राम रघुवीरा, अवधपुर बीथिन में भीरा

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श्रीराम नवमी के दिन व्रत रखकर राम नाम का जप करने का बड़ा महत्व है

श्रीराम नवमी व्रत की बहुत महिमा है । श्रीराम नवमी के दिन श्रीराम जन्म महामहोत्सव सुर, नर, मुनि, खग, नाग, और राक्षस आदि सभी मनाते हैं ।  श्रीराम नवमी के दिन व्रत रखकर राम जी की पूजा, ध्यान और राम नाम का जप करने का बड़ा महत्व है । 

 श्रीरामनवमी के दिन व्रत केवल दोपहर तक न रखकर पूरे दिन व्रत रखना चाहिए । और रात्रि जागरण करना चाहिए । ऐसा ग्रंथों में वर्णन है । 

 सामन्यतया लोग समझते हैं कि रामजी का जन्म महोत्सव दिन में बारह बजे मनाया जाता है । इसलिए दोपहर तक ही व्रत रखना चाहिए । लेकिन व्रह्मांड पुराण और अध्यात्म रामायण के अनुसार पूरे दिन व्रत रखना चाहिए ।

व्रह्माजी नारदजी से कहते हैं कि श्रीराम नवमी के दिन निराहार रहकर रात्रि जागरण कर ध्यान पूर्वक अध्यात्म रामायण पढ़ना अथवा सुनना चाहिए ।

 आज के समय में निराहार रहना कई लोगों के लिए मुश्किल होता है । ऐसे में कमसे कम फलाहार व्रत पूरे दिन रखना चाहिए और रात्रि में अध्यात्म रामायण, श्रीराम चरितमानस पढ़ना- सुनना चाहिए, भजन- कीर्तन करना चाहिए और अगले दिन पारण करना चाहिए । इस प्रकार श्रीराम जन्म महोत्सव दिन और रात दोनों मनाना चाहिए ।

 व्रह्माजी जी कहते हैं कि यदि कोई श्रीराम नवमी के दिन निराहार व्रत करके रात्रि में जागरण कर अनन्य वुद्धि से अध्यात्म रामायण पढ़ता अथवा सुनता है तो उसका फल –पुण्य इस प्रकार होता है-

  सर्वग्रस्त सूर्य ग्रहण के समय कुरुक्षेत्र आदि सभी पवित्र तीर्थो में भगवान वेद व्यास के समान विप्र को अपने बराबर धन देने से जो पुण्य होता है वही फल प्राप्त हो जाता है ।

यहाँ यह ध्यान देने वाली बात है कि सर्वग्रस्त सूर्य ग्रहण का समय जल्दी नहीं आता ।उसके बाद एक-दो नहीं अनेकों पवित्र तीर्थ हैं । जैसे-

 अयोध्या, मथुरा, काशी, चित्रकूट, नासिक, हरिद्वार, प्रयागराज, कुरुक्षेत्र और रामेश्वरम आदि । आदि । फिर भगवान वेद व्यास के समान विप्र कहाँ मिलेगा ? और इतना धन जुटाना भी मुश्किल है । सभी पवित्र तीर्थों में सर्वग्रस्त सूर्यग्रहण के समय एक-एक कर पहुँचने में पूरा जीवन पहले ही निकल जाएगा ।

  ऐसे में यह पुण्य, यह फल दुर्लभ है । और इसे श्रीराम जन्म महोत्सव मनाकर व्रत रहकर, रात्रि में जागरण करके अपनी-अपनी श्रद्धा और भक्ति के अनुरूप प्राप्त किया जा सकता है ।

  अगले महीने श्रीराम नवमी आने वाली है । सभी को श्रीराम नवमी को पूरे दिन व्रत रहकर और रात्रि में यथा संभव जागरण करके श्रीरामचरितमानस, अध्यात्म रामायण आदि पढ़ना और सुनना चाहिए, भजन-कीर्तन करना चाहिए । और पुण्य लाभ करना चाहिए ।

श्रीराम नवमी के दिन परम पावन श्रीसरयू जी के जल में स्नान करके भक्तों के समूह के समूह अपने हृदय में मोहनी मूरति और श्यामल सूरति रघुनाथ जी का ध्यान करके राम-राम जपते हैं-

मज्जहिं सज्जन वृंद बहु पावन सरजू नीर ।

जपहिं राम धरि ध्यान उर सुंदर श्याम शरीर ।।

।। जय श्रीराम नवमी महामहोत्सव की  ।।

प्रगटे अवध श्री रघुराई

देवता और संत आदि सभी राम जन्म महोत्सव गाते और मनाते हैं । सदग्रंथ-वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण, श्रीरामचरितमानस आदि सब राम जन्मोत्सव मुक्त कंठ से गाते हैं ।

 रावण के आंतक से उस समय चारों ओर त्राहि-त्राहि मची हुई थी । बहुत बड़ी समस्या थी । लेकिन समस्या से निजात दिलाने वाले कोई नहीं था । रावण का सामना करने में देवता भी असमर्थ थे । भगवान विष्णु, व्रह्माजी और शंकरजी के पास भी कोई समाधान नहीं था ।

  ऐसे में दीन-हीन के भगवान दीनबंधु भगवान श्रीराम प्रगट हुए । भगवान के प्रगट होने के पहले ही संसार में और अन्यान्य लोकों में सुख की लहर दौड़ गई । दुःख की बदली छटने लगी । और सुख के बादल छा गए और आनंद की वर्षा होने लगी । सबके दुःख जाते रहे ।

जैसे-जैसे भगवान राम के जनम का समय नजदीक आने लगा । वैसे-वैसे दुःख के वादल छटने लगे । सुंदर हवा चलने लगी । पेड़ पौधों में पुष्प और फल आ गए ।

  न ज्यादा जाड़ा, न ज्यादा गर्मी थी । अति उत्तम और सुहावना मौसम हो गया । भक्तों और संतों के मन से चिंताएं दूर होने लगीं । सबका मन हर्षित हो गया । मंगलवार दिन को, दोपहर में, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के नौमी तिथि को दीन-दुखियों के तारनहार, अग-जग के पालनहार, भक्तन के रूचि  के राखनहार मेरे भगवान श्रीराम प्रगट हो गए ।

  इस बार दो अप्रैल को श्रीराम नवमी है । जो धीरे-धीरे नजदीक आ रही है । श्रीराम नवमी आते-आते सर्वत्र मंगल हो यही कामना है-

जिमि जिमि राम जनम नियराए । तिमि तिमि दुःख घन ब्योम बिलाए ।। 

हरष आनंद मेघ  नभ छाए ।। बरशि सुवारि सकल अन्हवाए ।।

मंगल मूल भगत सुखदाई । प्रगटे अवध श्री रघुराई ।।

चौदह भुवन लोक तिहुँ साजे । मंगल गान बाजने बाजे ।।

रामचंद्र शिशु रूप बिराजे । मंगल राज अमंगल भाजे ।।

दीन-हीन विशेष सुखदाई । संतोष के नाथ राम रघुराई 



। जय श्रीराम